पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि सन्ति अन्नम जलं सुभाषितम्
मूर्खा पाषाण खंडेषु रत्नसंज्ञां विधीयते ।
वायु जलं। तेज: मत किच्चिदपि जीवना अधार:
सर्वे प्राणिन: ना जीवन्ति।
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है। वर्तमान परिपेक्ष्य में विभिन्न प्रजातियों के जीव जंतु प्राकृतिक स्रोत वनस्पति विलुप्त हो रहे हैं बढ़ता प्रदूषण से होता नजर आ रहा है पर्यावरण प्रकृति और पर्यावरण का दोहन हो रहा है। विलुप्त होते जीव जंतु और वनस्पति की रक्षा का विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर सुरक्षा करना ही इसका उद्देश्य है। इसका उद्देश्य है इस अवसर पर वृक्षारोपण मूल रूप से पौधों को पेड़ का रूप देने की प्रक्रिया है और इसलिए उनका अलग-अलग स्थानों पर रोपण किया जाना आवश्यक है। हमारी धरती मां की रक्षा में संसाधनों का संरक्षण की अहम भूमिका है। प्रकृति सदैव मनुष्य की सहचरी किंतु जब मनुष्य अपने हित के लिए प्रकृति का दोहन आरंभ किया, तो कठिनाई उत्पन्न हो गई दुष्परिणाम सामने आए। विश्व गंभीरता को समझने सजग प्रयास आरंभ किए।
प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
यह हवाओं की सरसराहट
पेड़ों पर फुदकती चिड़ियों की चहचहाहट
यह समुद्र की लहरों का शोर
बारिश में नाचते सुंदर मोर
प्रकृति की क्या शान है
कैसे वन हो उपवन कुछ कहना चाहते हैं हमसे।