Sunday 19 June 2022

पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

 सर्व तीर्थ मयी माता, देव मयो पिता

पिता धर्म: पिता स्वर्ग: को पिता ही परम तप:

पितरि प्रीति मायन्ने प्रीयन्ते सर्व देवता:

फादर्स डे यानी हिंदी में पितृ दिवस हर वर्ष जून माह में मनाया जाता है। यह दिवस अपने पिता की सम्मान में मनाया जाता है यह दिवस अलग-अलग देशों में अलग-अलग दिन मनाया जाता है। पितृ दिवस पिता के सम्मान हेतु व्यापक रूप से मनाया जाने वाला परम पर्व है। इसलिए हर पर्वों की तरह यह पर्व हर्षोल्लास के साथ पिता के प्रति हर बच्चा धन्यवाद करता है।

पितृ दिवस का महत्व

*सभी पिताओं को सम्मानित करने का सुनहरा अवसर सभी को प्राप्त होता है जो इस सम्मान के योग्य हो

*पितृ दिवस यानी यह पर्व समाज में पिताओं के  प्रयासों और योगदान की याद दिलाता है।

*पितृ दिवस दुनिया के प्रत्येक पिता का अपने बच्चे के लिए दिया गया बलिदान, स्नेह, त्याग, कड़ी मेहनत और जिम्मेदारी को दर्शाने का प्रतीक है।

*पितृ दिवस सह बच्चों को अपने पिता के प्रति प्यार और सम्मान के साथ धन्यवाद करने का दिवस होता है।

जैसा कि कहा भी गया है।

हर दुख खुद बच्चों का सह लेते हैं,

अपना सुख खुद बच्चों  को दे देते हैं

खुदा की उस जीवित प्रतिमा को

हम सब पिता कहते हैं।

जिसमें धरती सा धीरज है आसमान सी ऊंचाई है

जिंदगी की सबसे बड़ी यही सच्चाई है।

जीवन को बेहतर बनाने लगाई पिता ने कमाई है

तभी तो समाज में प्रत्येक बच्चे की सुनवाई है।

पिता की बिना जिंदगी वीरान है सफर तन्हा और राह सुनसान है।

वही मेरी जमीन वही आसमान है वही खुदा वही भगवान है।



Tuesday 7 June 2022

कक्षा आठवीं गतिविधि सूक्तियां ( 'पर द्रव्येषु लोष्ठवत')


         
       कक्षा आठवीं
        गतिविधि
       सूक्तियां ( 'पर द्रव्येषु लोष्ठवत')

सूक्तियां हमारी मानसिकता वह हमारे शुद्ध विचारों का शुद्र निर्माण करने में सहयोग करती है। जिनके अनुसरण से जीवन को सरलता से जिया जा सकता है यह जीवन के सुहद मित्र की भांति सभी का पथ प्रदर्शन करती है। सूक्तियां वचन ज्ञान का सार होते हैं अर्थात
सुंदर युक्तियां कथन चमत्कार पूर्ण वाक्य छुट्टियों में गुढ़ अर्थ छुपा होता है। इनके द्वारा छात्र कम शब्दों में बेहतर से बेहतर ज्ञान अर्जित करेंगे छात्रों को विद्वानों महापुरुषों नीतियों के अनुभव और परिपक्व विचारों का समावेश सूक्तियां में देखने को मिलेगा।















 

उपन्यास सम्राट प्रेमचंद

उपन्यास सम्राट प्रेमचंद का व्यक्तित्व तथा कृतियां
प्रेमचंद जी का जन्म सन 18 80 में बनारस के लमही ग्राम में हुआ था। उनके जीवनकाल में अनेक कठिनाइयां और परेशानियां आई अर्थात इनका बचपन अभावों में बीता। पारिवारिक समस्याओं के कारण किसी भी तरह इन्होंने बीए की परीक्षा पास की। यह अंग्रेजी में एम.ए.करना चाहते थे लेकिन जीवन यापन के लिए नौकरी करनी पड़ी। गांधीजी के असहयोग आंदोलन में सक्रिय होने के कारण सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देना पड़ा। उनकी प्रमुख रचनाएं थी j2 सेवा सदन प्रेमाश्रम रंगभूमि ,निर्मला, कायाकल्प, गवन, कर्मभूमि, गोदान, सोजेवतन, मानसरोवर, गुप्तधन, कर्बला, संग्राम, प्रेम की देवी आदि।