Sunday, 14 May 2023

Happy Mother's Day



 मां की ममता का कोई मोल नहीं

मां के प्यार को कौन भुलाये

मां की ही लॉरी हमें रातों को सुलाए

Happy Mothers Day

देवों ने भी सर झुकाया मां को किया प्रणाम है

मां से उत्तम कोई शब्द नहीं मां स्वयं में महान है..!!

मैंने अपने छोटे मुख से कैसे करूं तेरा गुड़गांव

मां तेरी ममता के आगे फीका सा लगता है भगवान

मांग लूँ यह मन्नत की फिर यही “जहाँ” मिले

फिर वही गोद फिर वही माँ मिले

हालातों के आगे जब साथ ना जुबा होती है

पहचान लेती है ख़ामोशी में हर दर्द वह सिर्फ मां होती है

कौन कहता है कि मुझे जन्नत नहीं मिली,

जरा सर तो रख कर देखो अपनी मां की गोद में।

Barbeque Nation - educational visit

 Students of class VII and VIII went to Barbeque Nation, Paschim Vihar as a part of their educational trip. Students were served with delicious food - snacks, beverages and desserts. Students visited the kitchen of the restaurant and learnt many aspects of running a restaurant business. Head chef gave chef caps to students and told them its significance. Barbeque nation staff distributed their discount coupons and fridge magnets. Further, manager of the restaurant conducted an interactive session with students. Students asked numerous queries about restaurant business. It was an amazing experience. Along with barbeque nation, students visited Pantaloon showroom as well, wherein students learnt how to manage crowd in the showroom, about discounts and management of staff. Pantloons staff also gave chocolate and water bottles to each and every student. Students came back to school well on time and shared their experiences

















Wednesday, 3 May 2023

नाट्यशाला

 रंगमंच वह स्थान है जहाँ नृत्य ,नाटक , खेल आदि का मंचन किया जाए ।रंगमंच ,रंग और ‘मंच ‘दो शब्दों से मिलकर बना है । रंग इसलिए प्रयुक्त हुआ है कि  किसी भी दृश्य को आकर्षक बनाने हेतु दीवारों , छतों और पर्दों पर  विविध प्रकार की तैयारी की जाती है ।अभिनेताओं की वेशभूषा तथा सज्जा में विविध रंगों का प्रयोग होता है और मंच इसलिए प्रयुक्त हुआ है कि दर्शकों की सुविधा हेतु रंगमंच का तल (फ़र्श)कुछ ऊँचा रहता है ।इसी आधार पर आज हमने बच्चों के माध्यम से कुछ निर्जीव वस्तुओं की सोच को नाटकीय भूमिका में दर्शाया जैसे खिड़की- दरवाज़े , मेज़ - कुर्सी ।








Tuesday, 18 April 2023

नाट्य कला कालांश

 १८/०४/2023

मंगलवार 

दूसरी कक्षाओं  से आठवीं कक्षाओं  नाट्य कला कालांश

 

सर्वप्रथम सभी छात्रों को एकत्र करके नाट्य कला का परिचय देते हुए व्यक्तिगत रूप से स्वपरिचय करवा गया तत्पश्चात सभी कक्षाओं के छात्रों का समूह बनाकर भिन्न-भिन्न प्रकार की -अलग भूमिका निभाने को दी गई।







Thursday, 13 April 2023

डाॅ भीमराव आंबेडकर जयंती

बाबा साहेब डाॅ. भीमराव आंबेडकर की 14 अप्रैल को जयंती होती है। डाॅ. आंबेडकर को भारतीय संविधान निर्माता के तौर पर जाना जाता है। उनकी भूमिका संविधान निर्माण में तो अतुल्य थी ही, साथ ही दलित समाज के उत्थान में भी महत्वपूर्ण रही। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्य प्रदेश के महू में एक गांव में हुआ था। उस दौर में उन्हें आर्थिक और सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा। बेहद विषम परिस्थितियों में पढ़ाई करने वाले बाबा साहेब ने स्कूल में भी भेदभाव का सामना किया। डाॅ. आंबेडकर का जीवन संघर्ष और सफलता की कहानी सभी के लिए प्रेरणा है। उनके विचार महिलाओं को पुरुषों के बराबर, अल्पसंख्यकों और गरीबों को अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित करते हैं। संविधान निर्माणा डाॅ भीमराव आंबेडकर की जयंती पर पढ़ें बाबा साहेब के प्रेरणादायक विचार।





बाबा साहेब अंबेडकर की उपलब्धि 

बालपन से ही बाबासाहेब मेधावी छात्र थे. स्कूल में पढ़ाई में काबिल होने के बावजूद उनसे अछूत की तरह व्यवहार किया जाता था. उस दौर में छुआछूत जैसी समस्याएं व्याप्त होने के कारण उनकी शुरुआती शिक्षा में काफी परेशानी आई, लेकिन उन्होंने जात पात की जंजीरों को तोड़ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया और स्कूली शिक्षा पूरी की.

1913 में अंबेडकर ने अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी से लॉ, इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस में डिग्री प्राप्त की. उन्होंने भारत में लेबर पार्टी का गठन किया, आजादी के बाद कानून मंत्री बने. दो बार राज्यसभा के लिए सांसद चुने गए बाबा साहेब संविधान समिति के अध्यक्ष रहे. समाज में समानता की अलख जलाने वाले अंबेडकर को 1990 में भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'भारत रत्न' से भी सम्मानित किया गया.

क्यों मनाई जाती है डॉ. भीमराव आंबेडकर जयंती 

डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कमजोर और पिछड़ा वर्ग को समान अधिकार दिलाने, जाति व्यवस्था का कड़ा विरोध कर समाज में सुधार लाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. यही वजह है कि बाबा साहेब की जयंती को भारत में जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न जैसी सामाजिक बुराइयों से लड़ने, समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है. उन्होंने जाति व्यवस्था का कड़ा विरोध कर समाज में सुधार लाने का काम किया है.


 

बैसाखी

 बैसाखी एक अनोखा त्यौहार है जो फसलों की कटाई के ख़ुशी के तौर पर मनाया जाता है। यह सिख समुदाय का लोकप्रिय त्यौहार है। यह हर वर्ष 14 अप्रैल के आस पास पड़ता है। इस समय में कई समुदाय के लोग अपना नव वर्ष मनाते है। यह उत्सव पूरे देश में हर्ष -उल्लास के साथ मनाया जाता है।

बैसाखी उत्सव मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा राज्यों में मनाया जाता है। यह दरअसल कृषि उत्सव है, जो इन राज्यों में बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग नए पोशाक पहनते है और घरो पर कई तरह के पकवान बनाये जाते है।

बैसाखी के मौके पर कई जगह बड़ा मेला लगता है। लोग बहुत ख़ुशी से अपने परिवार के संग यहाँ जाते है। अधिकतर मेले नदी के किनारे आयोजित किये जाते है। यहाँ काफी लोगो का जमावड़ा लगता है।

बैसाखी के दिन को सिख समुदाय के लोग नए साल की तरह मनाते है। बैसाखी के उत्सव के दिन हर शहर में बड़ा मेला लगता है। मेलो में चाट, मिठाई, फल, अलग अलग तरह के व्यंजनों के ठेले लगते है। लोग यहाँ आकर सभी चीज़ो का आनंद उठाते है। लोग ऐसे मेलो में कई चीज़ो की खरीदारी करते है।

इस दिन कई हिन्दू समुदाय के लोग नए साल का आरम्भ करते है। पावन नदियों के जल में स्नान करते है और श्रद्धा से पूजा करते है। इस दिन सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारा और हिन्दू लोग मंदिर जाते है। लोग इस दिन ईश्वर की पूजा करते है और धार्मिक ग्रंथो का पाठ करते है। खालसा पंथ की स्थापना वर्ष 1699 में हुई थी।

इस उत्सव को एक प्रमुख त्यौहार की तरह गुरु अमरदास द्वारा शामिल किया गया था। तब से लेकर आज तक सम्पूर्ण सिख समुदाय के लोग इसे उत्साह से मनाते है। गुरु गोबिंद सिंह ने भी खालसा पंथ की नींव सन 1699 में रखी थी। यही वजह है सिख समुदाय के लोग इस दिन को विशेष तरीके से मनाते है।

इस दिन पंजाब और हरियाणा के सभी गुरुद्वारों को भव्य तरीके से सजाया जाता है। बहुत बड़े पैमाने पर इस दिन पूजा होती है। इस दिन गुरुद्वारों में भक्ति गीत और कीर्तन होते है। सम्पूर्ण राज्य में लोग झूमते, गाते हुए नज़र आते है। सभी अपने परिवार और दोस्तों के साथ यह उत्सव मनाते है।

स्वर्ण मंदिर में उत्सव

बैसाखी का उत्सव स्वर्ण मंदिर में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। स्वर्ण मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाते है। देश के कोने कोने से सिख समुदाय के लोग यहां भाग लेने के लिए आते है। स्वर्ण मंदिर एक पावन जगह है। यहाँ के भव्य उत्सव में भाग लेने के लिए श्रद्धालु यहाँ आते है।सिख समुदाय के लोग बड़े ही आनंद के साथ यह त्यौहार मनाते है।






Thursday, 5 January 2023

Happy new year

सुनहरे सपनों की झंकार, लाया है नववर्ष

खुशियों के अनमोल उपहार लाया है नववर्ष

आपकी राहों में फूलों को बिखराकर लाया है नववर्ष

महकी हुई बहारों की ख़ुशबू लाया है नववर्ष

अपने साथ नयेपन का तूफान लाया है नववर्ष

स्नेह और आत्मीयता से आया है नववर्ष

सबके दिलों पर छाया है नववर्ष

आपको मुबारक हो दिल की गराईयों से नववर्ष।




नए साल में नई पहल हो,

कठिन जिंदगी और सरल हो,

जो चलता है वक्त देख कर,

आगे जा कर वही सफल ही,

नए वर्ष का उगता सूरज,

सबके लिए सुनहरा पल हो,

समय हमारा सदा साथ दे,

आगे कुछ ऐसी हलचल हो,

अनसुलझी रह गई जो पहेली,

उसका भी अब हल हो,

नए साल में नई पहल हो,

कठिन जिंदगी और सरल हो