Friday 18 August 2023

सामूहिक गतिविधि मुहावरे एवं लोकोक्तियां

 किसी भाषा की विशिष्ट अभिव्यंजना पद्धति को मुहावरा कहते हैं। ऑक्सफोर्ड कंसाई डिक्शनरी के अनुसार किसी भाषा की अभिव्यंजना की विशिष्ट मुहावरा मूलतः मानव अरबी शब्द है जिसका अर्थ है बातचीत करना है उत्तर देना यह कैसा वाक्यांश जो सामान अर्थ को बहुत ना करा कर किसी विशेष या विलक्षण अर्थ की प्रतीति कराए मुहावरा कहलाता है। इसके प्रयोग से भाषा में सरलता संरचना चमत्कार और प्रभाह उत्पन्न होते हैं, मुहावरे की अपनी विशेषताएं हैं। मुहावरा सदा अपने मूल रूप में प्रयुक्त होता है उसके स्थान पर पर्यायवाची शब्द नहीं रखे जाते है। इसे कमर टूटना कान होना के स्थान पर कटि भंग का प्रयोग गलत है।

मुहावरे का शाब्दिक अर्थ नहीं है भावार्थ बताना चाहिए ।इसी आधार पर कक्षा छठी के छात्रों द्वारा मुहावरे की गतिविधि सामूहिक रूप से की गई।

Thursday 17 August 2023

स्वामी विवेकानंद जी का योगदान

 स्वामी विवेकानंद जी का योगदान

स्वामी विवेकानंद वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन 1863 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। समाज सुधारक थे उनके अपने सिद्धांत थे सदैव अनमोल वचनों से सभी को अपनी ओर आकर्षित करते थे स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मठ रामकृष्ण मिशन और वेदांत सोसाइटी की नीव रखी थी। हिंदुत्व को लेकर उन्होंने जो व्याख्या दुनिया के सामने रखी उसकी वजह से इस धर्म को लेकर काफी आकर्षण बड़ा इन्हीं सिद्धांतों की चर्चा पक्ष आठवीं के विद्यार्थियों ने व्यक्तिगत रूप से विस्तार से की।


















ऋतुओं का वर्णन

 ऋतुओं का वर्णन

भारत एक भौगोलिक परिस्थितियों वाला एक विशाल देश है। भारत में विभिन्न प्रकार के मौसमों का आवागमन होता है भारत में पूर्ण रूप से चार ऋतु में होती हैं यह ऋतु में ग्रीष्म ,मानसून, मानसून के बाद और सर्दी है भारत में गर्मी के मौसम में अत्यधिक गर्म मौसम होता है।

वैसे ऋतु 1 वर्ष में छोटा कालखंड है जिसमें मौसम की दशाएं एक खास प्रकार की होती हैं। यह कालखंड एक वर्ष को कई भागों में विभाजित करता है जिनके दौरान पृथ्वी के सूर्य की परिक्रमा के परिणाम स्वरुप दिन की अवधि तापमान वर्षा आर्दता इत्यादि। मौसमी दशाएं एक चक्रीय रूप में बदलती है।

भारत में परंपरागत रूप से मुख्ता छह ऋतु में परिभाषित की गई है इसी ऋतुओं को कक्षा सातवीं की विद्यार्थियों ने भिन्न-भिन्न आकारों  में परिभाषित करते हुए दर्शाया है।