दिनांक
२७/०४/२२ कक्षा- सातवीं
व्यक्तिगत- गतिविधि
मधुर ध्वनियों या स्वरों का विशिष्ट नियमों के अनुसार लय में होने वाला प्रस्फूटन (जैसे-कठ्य, संगीत वाद्य संगीत) सुव्यवस्थित ध्वनि जो रस की सृष्टि करें, संगीत कहलाती है। गायन वादन व नृत्य तीनों में के समावेश को संगीत कहते हैं।
संगीत के प्रति गहन रुचि सीखने की उत्कट लगन ,सतत अभ्यास ,पारस्परिक लगाव तथा गलती को स्वीकारना आदि। प्रस्तुत पाठ में सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर हमें स्वयं अपने बचपन और शैतानियों से परिचित करवा रही है। जिससे छात्र शास्त्रीय संगीत, राग पूरिया, धनश्री राग खबांवती आदि के विषय में जानकारी हासिल कर पाएंगे। वे सीखेंगे राग पूरिया, धनाश्री, आरोह अवरोह का परिचय तथा भारतीय शास्त्रीय संगीत या मार्ग भारतीय संगीत का अभिन्न अंग है शास्त्रीय संगीत ही क्लासिकल म्यूजिक भी कहते हैं शास्त्रीय गायन सुर प्रधान होता है, शब्द प्रधान नहीं इसमें महत्व सुर का होता है अर्थात शास्त्रीय संगीत तात्पर्य पर भारत की प्राचीन गायन, वादन, गीत, नृत्य एवं इन सारी बातों के प्रति जानकारी तथा रुचि अपने अंदर जागृत कर पाएंगे। अच्छा जानेंगे लता जी ने लगभग 30 से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर फिल्मी गाने गाए हैं, उनकी जादुई आवाज के भारत के साथ पूरी दुनिया में दीवानें हैं।
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