Saturday, 15 January 2022

मकर संक्रांति

 दान पुण्य के त्योहार मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का सनातन धर्म में खास महत्व है. हिंदू धर्म में इस त्योहार को 14 जनवरी दिन शुक्रवार को धूम धाम से मनाया जा रहा है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में चलते हैं. यही कारण है कि सूर्य की मकर संक्रांति कहा जाता है. खास बात ये भी है कि इसी दिन खरमास (Kharmas) का समापन हो जाता है और शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं. तो से में आइए जानते हैं 

मकर संक्रांति  (Makar Sankranti Special) पर गंगा स्नान और दान पुण्य करने के विशेष महत्व के बारे में सभी कुछ.

जानिए क्या है स्नान और दान का महत्व?

सनातम धर्म की मान्या के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही राजा भागीरथ के तप से गंगा प्रभाव‍ित होकर उनके पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम पहुंच गई थीं और फिर वहां पहुंचकर सोते हुए समुद्र में जाकर वह म‍िली थीं. इसी दिन राजा भागीरथ ने गंगा के पावन जल से अपने पूर्वजों को प्रप्त किया था. मान्यता है कि यही कारण है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करने का सबसे ज्यादा फलदायी फलदायी माना गया है. कहते हैं कि अगर इस दिन गंगा में स्नान करते हैं तो सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं और सीधा प्रभु के चरणों में शरण मिलती है. अगर आप गंगा में स्नान नहीं कर पाते हैं तो घर पर भी इस दिन स्नान करने का अति महत्व है.

मकर संक्रांति 2022 शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति का क्षण या सूर्य का मकर राशि में प्रवेश: दोपहर 02 बजकर 43 मिनट पर मकर संक्रांति का पुण्य काल: दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 45 मिनट तक मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल: दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से शाम 04 बजकर 28 मिनट तक.

ऐसे करें संक्रांति के दिन पूजा

कहा जाता है कि इस दिन सूर्यदेव की आराधना किया जाना सबसे ज्यादा फलदायी होता है. यही कारण है कि इस दिन सूर्य देव को जल, अक्षत, गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र, तांबा, सुपारी, लाल फूल और दक्षिणा आदि से पूज जाता है. सूर्य पूजा के बाद ही इस दिन क्षमता के अनुसार किसी जरुतमंद को दान करना चाहिए. दान पुण्य के समय तक व्रत रखा जाता है, और दान के बाद ही व्रत को खोला जाता है.

इन नामों से प्रचलित है मकर संक्रांति

देश के अलग अलग हिस्सों में मकर संक्रांति को अलग अलग नाम से मनाया जाता है. दक्षिण भारत में पोंगल, गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण कहा जाता है और कई राज्यों में पतंग उड़ाने का भी इस दिन खास महत्व होता है. हरियाणा और पंजाब में इस त्योहार को माघी और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश इस दिन खिचड़ी कहा जाता है.

लोहड़ी पर कविता


1- लोहड़ी आई – लोहड़ी आई,

सर्दी खत्म होने को आई,

दिन बड़े होने की ख़ुशी में,

सब ने मिलकर लोहड़ी मनाई|

13 जनवरी का दिन है आया,

खुशियों ने हैं डेरा डाला,

सुंदरी-मुंदरी के गीतों से,

हम सब ने लोहड़ी का है त्योहार मनाया|

लोहड़ी आई लोहड़ी आई,

मिलकर हम सब,

एक दूजे को दे बधाई,

जात-पात का भेद मिटाकर,

मिलकर हम सब ने ढांड जलाई|

मूंगफली रेवड़ी अग्नि में डालकर

लोहड़ी के गीतों से,

इस त्योहार की शोभा बढाई!

कुछ दिन पहले से बच्चों ने,

घर घर जाकर लोहड़ी मांगी,

दे नी माएं लोहड़ी,

तेरे द्वारे सारी टोली है आई,

दे नी माएं लोहड़ी,

तेरे द्वारे सारी टोली है आई!

लोहड़ी आई- लोहड़ी आई,

सबने इसे दिल से मनाई!

2- फिर से नूतन हर्ष 

लेकर आयी लोहड़ी, फिर से नूतन हर्ष। 

करते हैं सब कामना, मंगलमय हो वर्ष।। 

शीतल-शीतल रात है, शीतल-शीतल भोर। 

उत्सव का माहौल है, पसरा चारों ओर।। 

खुश हो करके लोहड़ी, मना रहे हैं लोग। 

ज्वाला में मिष्ठान्न का, लगा रहे हैं भोग।। 

मन को बहुत लुभा रहे, त्योहारों के रंग। 

रंग-बिरंगी गगन में, उड़ने लगीं पतंग।।

उत्तरायणी आ रही, देने अब सौगात। 

घाट जायेगा देश में, सर्दी का अनुपात।। 

मकर राशि में दिवाकर, आने को तैयार। 

वासन्ती परिवेश के, खुल जायेंगे द्वार।। 

आहट देख बसन्त की, कुहरा हुआ अपांग। 

फूली सरसों देखकर, मन में उठी उमंग।। 

भँवरे गुनगुन कर रहे, तितली करती नृत्य। 

ख़ुश होकर सब कर रहे, अपने-अपने कृत्य।।

3- धूप हो चली तीखी-तीखी

आने वाली बसंत बहार,

ढेरों खुशियाँ लेकर आया

जीवन में लोहड़ी त्यौहार।

मौसम ने ले ली है करवट

सूरज ने बदली है चाल

कलरव करते पंछी निकले

हवा बजाती सुरमयी ताल,

रहे ठिठुरते जिससे हम सब

सर्दी की अब घटेगी मार

ढेरों खुशियाँ लेकर आया

जीवन में लोहड़ी त्यौहार।

रंग-बिरंगी उड़ी पतंगे

आसमान में दौड़ लगातीं

लड़ती-भिड़ती हैं आपस में

कट कर धरती पर आ जातीं,

भाग रहे लेने को बालक

पतंग गिरे जितनी भी बार

ढेरों खुशियाँ लेकर आया

जीवन में लोहड़ी त्यौहार।

घर-घर जाकर माँगे सबसे

बच्चे बना-बना कर टोली

दे रहे रेवड़ी, मूंगफली

सुन सब उनकी मीठी बोली,

मिलकर जश्न मनाएंगे अब

सभी बाल हो गए तैयार

ढेरों खुशियाँ लेकर आया

जीवन में लोहड़ी त्यौहार।