यह कहानी दो दोस्तों की है जिनकी उम्र 18 साल है| दोनों बचपन में साथ खेलते, साथ पढ़ते इसलिए दोनों के ख्वाब भी लगभग एक जैसे थे| दोनों ज़िन्दगी में कुछ बड़ा करना चाहते थे| दोनों हमेशा साथ रहते थे, हमेशा एक दुसरे से अपने दिल की बात शेयर किया करते थे| एक दिन दोनों टहलते-टहलते गाँव से थोडा दूर निकल आए थे| तभी पहले दोस्त ने दुसरे दोस्त से कहा, “यार ! कल मेने शहर में एक BMW कार देखी, अगर वह कार मुझे मिल जाए तो पुरे गाँव में मेरी वाहवाही हो जाएगी और गाँव वाले मेरा हमेशा सम्मान करेंगे| इधर दुसरा दोस्त अपने दोस्त की बात सुनकर खुद भी BMW कार के सपने देखने लगा|
अब दोनों दिन रात BMW कार के सपने देखा करते| पहला दोस्त BMW कार के लिए इतना उतावला हो गया की वह दिन-रात बस उस कार के बारे में ही सोचने लगा| उसने अपनी ज़िन्दगी का लक्ष्य बना लिया की अगले 10 साल में उसे BMW कार चाहिए| चाहे उसके लिए उसे दिन-रात महनत ही क्यों न करना पड़े|
इधर दूसरा दोस्त भी BMW के सपने देख रहा था| लेकिन एक रात उसने खुद से एक सवाल पूछा, कि “आखिर उसे BMW कार चाहिए क्यों ?” बस उसके सोचने भर की देर थी की उसके दिल ने ज़वाब दिया, “इसलिए क्यों की वह पुरे गाँव को दिखाना चाहता है की वह भी ज़िन्दगी में सफल हो सकता है|” उसने फिर अपने दिल से पुछा कि, “आखिर वह गाँव वालों को यह दिखाना क्यों चाहता है ?” उसके दिल ने ज़वाब दिया, “क्यों की उसके आसपास सब यही कर रहें हैं|”
अपने दिल के दिए इस जवाब से वह हिल उठा| उसने अपने चारों और देखा और पाया की हर जगह दिखावे की एक रेस लगी हुई है और वह भी अब उस रेस का हिस्सा बनने जा रहा है| अगले ही पल उस लड़के ने ठान लिया की वह इस रेस का हिस्सा नहीं बनेगा| उसे नहीं चाहिए BMW कार| तभी उसे उसके दिल की बात सुनाई दी….
तिन साल पहले वह और उसके पिताजी एक गाँव में कुछ सामान बेचने जा रहे थे| आते हुए रास्ते में वह एक ढाबे पर चाय पिने के लिए रुके, तभी उसके पिताजी के साइन में अचानक दर्द होने लगा| उसने एक मिनट भी देर किये बगैर अपने पिताजी को पास के एक अस्पताल पहुँचाया ,लेकिन वहां के डाक्टरों ने जल्द से जल्द उन्हें किसी बड़े अस्पताल में ले जाने को कहा| बड़ा अस्पताल वहां से तिन घंटे की दुरी पर शहर में था| वह अपने पिताजी को शहर के एक बड़े अस्पताल में ले गया लेकिन तब तक उसके पिताजी उसको छोड़ कर जा चुके थे| वह अन्दर से बिलकुल टूट चूका था| उस दिन उसे यह बात समझ नहीं आई थी लेकिन आज उसे यह बात समझ आ गई थी की अगर उस दिन गाँव के उस अस्पताल में कोई बड़ा डॉक्टर होता तो आज उसके पिताजी जिंदा होते|
सालों से अपने दिल की गहराई में छुपी इस बात को आज जानकर उसकी ज़िन्दगी का लक्ष्य उसे पता चल चूका था| जहाँ पहले वह दिन में एक घंटा भी पढ़ नहीं पाता था आज वह डॉक्टर बनने के लीए दिन-रात पढने लगा| वहीँ उसका दोस्त भी अपने BMW के सपने को पूरा करने के दिन रात एक कर रहा था| 10 साल बाद पहला दोस्त एक बहुत बड़ा डॉक्टर बना और दुसरे दोस्त ने भी अपने सपने को पूरा करते हुए एक BMW कार खरीद ली|
लेकिन, पहला दोस्त जो डॉक्टर था वह अपने काम से प्यार करता था और गाँव में लोगों की जान बचाकर बहुत खुश रहता| भले ही उसे BMW नहीं मिली हो लेकिन फिर भी आज वह बहुत खुश था| वहीँ दूसरा दोस्त जिसके पास BMW कार थी अपने काम से बहुत दुखी रहता| दिन भर उसे अपनी कार के चले जाने की चिंता सताए रहती|
पहला दोस्त जो डॉक्टर था वह अपनी ज़िन्दगी ख़ुशी-ख़ुशी जी रहा था जबकि दूसरा दोस्त अब एक बड़े घर को पाने के लिए अब भी उसी रेस में लगा हुआ था|
तो दोस्त कहानी का सार यह है की हमेशा अपने काम से प्यार करो| वह करो जो तुम्हारा दिल कहता है, वह करो जो दुम्हारा दिल करना चाहता है| क्यों की पैसे से प्यार करोगे तो पैसे के चले जाने का हमेशा दुःख रहेगा लेकिन अगर अपने काम से प्यार करोगे तो काम में हमेशा मन लगा रहेगा और ज़िन्दगी भर खुश रहोगे|
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