Saturday, 12 January 2019

मकर संक्रांति का महत्त्व




मकर संक्रांति का महत्त्व सूर्य के उत्तरायण हो जाने के कारण है। शीत काल जब समाप्त होने लगता है तो सूर्य मकर रेखा का संक्रमण करते (काटते) हुए उत्तर दिशा की ओर अभिमुख हो जाता है, इसे ही उत्तरायण कहा जाता है। एक फसल काटने के बाद इस दौरान दूसरे फसल के लिए बीज बोया जाता है।
एक वर्ष में कुल 12 संक्रांतियां आती हैं। इनमे से मकर संक्रांति का महत्त्व सर्वाधिक है, क्योंकि यहीं से उत्तरायण पुण्य काल (पवित्र/शुभ काल) आरम्भ होता है। उत्तरायण को देवताओं के काल के रूप में पूजा जाता है। वैसे तो इस सम्पूर्ण काल को ही पवित्र माना जाता है, परन्तु इस अवधि का महत्त्व कुछ ज्यादा है। इसी के बाद से सभी त्यौहार आरम्भ होते हैं।
















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