बाल दिवस पर कविता
कितनी प्यारी दुनिया इनकी
कितनी मृदु मुस्कान
कितनी मृदु मुस्कान
बच्चों के मन में बसते हैं
सदा, स्वयं भगवान
सदा, स्वयं भगवान
एक बार नेहरू चाचा ने
बच्चों को दुलराया
बच्चों को दुलराया
किलकारी भर हंसा जोर से
जैसे हाथ उठाया
जैसे हाथ उठाया
नेहरूजी भी उसी तरह
बच्चे-सा बन करके
बच्चे-सा बन करके
रहे खिलाते बड़ी देर तक
जैसे खुद खो करके
जैसे खुद खो करके
बच्चों में दिखता भारत का
उज्ज्वल स्वर्ण विहान
उज्ज्वल स्वर्ण विहान
बच्चे मन में बसते हैं
सदा स्वयं भगवान
सदा स्वयं भगवान
बच्चे यदि संस्कार पा गए
देश सबल यह होगा
देश सबल यह होगा
बच्चों की प्रश्नावलियों से
हर सवाल हल होगा
हर सवाल हल होगा
बच्चे गा सकते हैं जग में
अपना गौरव गान
अपना गौरव गान
बच्चे के मन में बसते हैं
सदा स्वयं भगवान
सदा स्वयं भगवान
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