Wednesday, 14 November 2018

बाल दिवस

                         बाल दिवस पर कविता
कितनी प्यारी दुनिया इनकी
कितनी मृदु मुस्कान
बच्चों के मन में बसते हैं
सदा, स्वयं भगवान
एक बार नेहरू चाचा ने
बच्चों को दुलराया
किलकारी भर हंसा जोर से
जैसे हाथ उठाया
नेहरूजी भी उसी तरह
बच्चे-सा बन करके
रहे खिलाते बड़ी देर तक
जैसे खुद खो करके
बच्चों में दिखता भारत का
उज्ज्वल स्वर्ण विहान
बच्चे मन में बसते हैं
सदा स्वयं भगवान
बच्चे यदि संस्कार पा गए
देश सबल यह होगा
बच्चों की प्रश्नावलियों से
हर सवाल हल होगा
बच्चे गा सकते हैं जग में
अपना गौरव गान
बच्चे के मन में बसते हैं
सदा स्वयं भगवान

No comments:

Post a Comment