Wednesday, 24 October 2018

बाल दिवस

                             पौधों के पंख
नये पौधे
शहर भर में गये रौंदे

खुशबुओं के रास्तों से
शाह की गुज़री सवारी
आग की मीनार के नीचे
कुओं की खोज ज़ारी

गुंबजों की गूँज
सुनकर
काँपते रह-रह घरौंदे

एक नीली झील के तट पर
सुरंगों के मुहाने
धुआँ-देती आहटें हैं
फूल-पत्तों के ठिकाने

हाट भर में
बिक रहे हैं
नये सूरज के मसौदे























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