Ishwar Chandra Vidyasagar Birthday 26 september 1820
इश्वर चन्द्र विद्यासागर ( १८२० - १८९१ )
इश्वर चन्द्र विद्यासागर एक प्रचिलित विद्वान तथा लेखक थे | उन्होंने अपना सारा जीवन सामाजिक कल्याण के लिए समर्पित किया था |
उनका जन्म २६ सितम्बर १९२० को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर (हुगली जिल्हा) के एक भ्रमण घराने में हुआ था | उनके पिता का नाम ठाकुरदास बनर्जी और उनकी माता का नाम भगबती देवी था | इश्वर चन्द्र ने अपने पिता को ही अपना गुरु मान लिया था | जीवन में उन्होंने अपनी माता की तरह परोपकारी तथा दयालु रहना सिखा |
शिक्षण
इश्वर चन्द्र का शिक्षण कलकत्ता में हुआ | उन्होंने १९३९ में उन्होंोंने अपनी कानून की परीक्षा सफलता से उत्तीर्ण की | सन १८४१ में इश्वर चंद्राने फोर्ट विल्लियम कॉलेज में संस्कृत विभाग क मुख्याध्यापक के पद पर काम करना शुरू किया | भारत के आज़ादी के प्रति का भाव और " डिरेक्टर ऑफ़ पब्लिक एदुकतिओन " के साथ उन्हके मतभेद के बाद उन्हों ने अपना इस्तीफा दे दिया | इसके बाद आर्थिक आज़ादी के लिए उन्होंने मुद्रुक तथा प्रकाशक के तौर पर बंगाली भाषा में अनेक पुस्तके लिखी |
समाजिक कल्याण
उन्होंने निर्भिड़ता से सफलतापूर्वक विधवा विवाह का अभियान चलाया | उन्होंने इस कार्य के लिए पूर्णतः अपना तन- मन अर्पण किया था | उन्होंने बहुविवाह पर रोक लगाने के लिए बहुत प्रयत्न किये लेकिन वह उसमे असफल रहे | लेकिन इस हार से निराश न होते हुए उन्होंने महिलाओ के शिक्षण का अभियान सफलतापूर्वक पर किया | वह बेथूने स्कूल के प्रथम सचिव बने | उन्होंने मेट्रोपोलिटिन कॉलेज ( अब विद्यासागर कॉलेज ) की स्थापना की | इश्वर चन्द्र कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रबंध सभा के सदस्य भी रह चुके है | उन्होंने बंगाली में अनेक पाठ्यपुस्तके प्रकाशित की | बेताल्पंचाहिन्ग्सती, उपक्रमणिका, चरिताबोली , कोथामाला , बमापोरिचोय यह उनकी कुछ पुस्तके बहुत प्रचिलित है |
इश्वर चन्द्र विद्यासागर एक प्रचिलित विद्वान तथा लेखक थे | उन्होंने अपना सारा जीवन सामाजिक कल्याण के लिए समर्पित किया था |
उनका जन्म २६ सितम्बर १९२० को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर (हुगली जिल्हा) के एक भ्रमण घराने में हुआ था | उनके पिता का नाम ठाकुरदास बनर्जी और उनकी माता का नाम भगबती देवी था | इश्वर चन्द्र ने अपने पिता को ही अपना गुरु मान लिया था | जीवन में उन्होंने अपनी माता की तरह परोपकारी तथा दयालु रहना सिखा |
शिक्षण
इश्वर चन्द्र का शिक्षण कलकत्ता में हुआ | उन्होंने १९३९ में उन्होंोंने अपनी कानून की परीक्षा सफलता से उत्तीर्ण की | सन १८४१ में इश्वर चंद्राने फोर्ट विल्लियम कॉलेज में संस्कृत विभाग क मुख्याध्यापक के पद पर काम करना शुरू किया | भारत के आज़ादी के प्रति का भाव और " डिरेक्टर ऑफ़ पब्लिक एदुकतिओन " के साथ उन्हके मतभेद के बाद उन्हों ने अपना इस्तीफा दे दिया | इसके बाद आर्थिक आज़ादी के लिए उन्होंने मुद्रुक तथा प्रकाशक के तौर पर बंगाली भाषा में अनेक पुस्तके लिखी |
समाजिक कल्याण
उन्होंने निर्भिड़ता से सफलतापूर्वक विधवा विवाह का अभियान चलाया | उन्होंने इस कार्य के लिए पूर्णतः अपना तन- मन अर्पण किया था | उन्होंने बहुविवाह पर रोक लगाने के लिए बहुत प्रयत्न किये लेकिन वह उसमे असफल रहे | लेकिन इस हार से निराश न होते हुए उन्होंने महिलाओ के शिक्षण का अभियान सफलतापूर्वक पर किया | वह बेथूने स्कूल के प्रथम सचिव बने | उन्होंने मेट्रोपोलिटिन कॉलेज ( अब विद्यासागर कॉलेज ) की स्थापना की | इश्वर चन्द्र कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रबंध सभा के सदस्य भी रह चुके है | उन्होंने बंगाली में अनेक पाठ्यपुस्तके प्रकाशित की | बेताल्पंचाहिन्ग्सती, उपक्रमणिका, चरिताबोली , कोथामाला , बमापोरिचोय यह उनकी कुछ पुस्तके बहुत प्रचिलित है |