Saturday, 29 October 2016
Sunday, 2 October 2016
आज है दो अक्टूबर का दिन...आज का दिन बड़ा महान.. आज के दिन दो फूल खिले थे.. जिनसे महका हिंदुस्तान.. जी हां आज ही के दिन भारत के दो ऐसे महान सपूतों का जन्मदिन हुआ है जिन्होंने अपने महान कर्मों से पूरे हिंदुस्तान को अपना कर्जदार बना लिया। हम बात कर रहे हैं बापू महात्मा गांधी और देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की।
बापू का जन्मदिन देशभर में 'गांधी जयंती' के रूप में और दुनियाभर में 'अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस' के रूप में मनाया जाता है। 'जय जवान जय किसान' देश की स्वतंत्रता में बापू के अहिंसक संघर्ष का महत्वपूर्ण योगदान है तो वहीं भारत को 'जय जवान जय किसान' का नारा देने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इस योगदान को जाया नहीं होने दिया है, उन्होंने लोगों को यह बताया कि अगर आप चाह लें, तो आप कुछ भी कर सकते हैं, बशर्ते कि आप की नियत पाक-साफ हो।
लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। वह गांधी जी के विचारों और जीवनशैली से बेहद प्रेरित थे। उन्होने गांधी जी के असहयोग आंदोलन के समय देश सेवा का व्रत लिया था और देश की राजनीति में कूद पड़े थे।
उपनाम लगाना छोड़ दिया लाल बहादुर शास्त्री जाति से श्रीवास्तव थे। लेकिन उन्होने अपने नाम के साथ अपना उपनाम लगाना छोड़ दिया था क्योंकि वह जाति प्रथा के घोर विरोधी थे। उनके नाम के साथ जुड़ा 'शास्त्री' काशी विद्यापीठ द्वारा दी गई उपाधि है। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होने 2 साल तक काम किया। उनका प्रधानमंत्रित्व काल 9 जून 1964 से 11जनवरी 1966 तक रहा।विदेशियों के लिए भी गांधी आदर्श गांधी जी से केवल भारतीय ही प्रभावित नहीं थे बल्कि विदेशों में भी गांधी जी के आदर्शों को माना जाता रहा है। साबरमति के इस संत ने अपने अहिंसावादि नीतियों से यह जता दिया कि इंसान अगर अपने आप पर भरोसा कर ले तो जीवन की हर कठिनाइयों का सामना वो कर सकता है।
1 दिन व्रत रखने की अपील
बापू के आदर्शों पर चलने वाले लाल बहादुर ने उस समय अपना नाम सुनहरे शब्दों में अंकित कर लिया जब देश के कई हिस्सों में भयानक अकाल पड़ा था। उस समय शास्त्री जी ने देश के सभी लोगों को खाना मिल सके इसके लिए सभी देशवासियों से हफ्ते में 1 दिन व्रत रखने की अपील की थी। आज सशरीर शास्त्री हमारे बीच न सही लेकिन उनके आदर्श हमारे बीच में जिंदा है...इसलिए वो ना होकर भी हमारे बीच मौजूद हैं।
गांधी एक भरोसा...तो शास्त्री एक विश्वास... महात्मा गांधी एक वयक्तित्व नहीं बल्कि एक भरोसा और विश्वास हैं, जो हर इंसान के अंदर मौजूद है...वो एक वचन है जो हर कसम में साथ होते हैं... तो वहीं शास्त्री एक शपथ हैं जो हमें अपने कर्तव्यों का एहसास दिलाते हैं कि हम कुछ भी कर सकते हैं..इसलिए यह दोनों हमसे तो कभी अलग हो ही नहीं सकते..यह दोनों यहीं हैं हमारे पास..हमारे बीच.. हमारे साथ
बापू का जन्मदिन देशभर में 'गांधी जयंती' के रूप में और दुनियाभर में 'अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस' के रूप में मनाया जाता है। 'जय जवान जय किसान' देश की स्वतंत्रता में बापू के अहिंसक संघर्ष का महत्वपूर्ण योगदान है तो वहीं भारत को 'जय जवान जय किसान' का नारा देने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इस योगदान को जाया नहीं होने दिया है, उन्होंने लोगों को यह बताया कि अगर आप चाह लें, तो आप कुछ भी कर सकते हैं, बशर्ते कि आप की नियत पाक-साफ हो।
लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। वह गांधी जी के विचारों और जीवनशैली से बेहद प्रेरित थे। उन्होने गांधी जी के असहयोग आंदोलन के समय देश सेवा का व्रत लिया था और देश की राजनीति में कूद पड़े थे।
उपनाम लगाना छोड़ दिया लाल बहादुर शास्त्री जाति से श्रीवास्तव थे। लेकिन उन्होने अपने नाम के साथ अपना उपनाम लगाना छोड़ दिया था क्योंकि वह जाति प्रथा के घोर विरोधी थे। उनके नाम के साथ जुड़ा 'शास्त्री' काशी विद्यापीठ द्वारा दी गई उपाधि है। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होने 2 साल तक काम किया। उनका प्रधानमंत्रित्व काल 9 जून 1964 से 11जनवरी 1966 तक रहा।विदेशियों के लिए भी गांधी आदर्श गांधी जी से केवल भारतीय ही प्रभावित नहीं थे बल्कि विदेशों में भी गांधी जी के आदर्शों को माना जाता रहा है। साबरमति के इस संत ने अपने अहिंसावादि नीतियों से यह जता दिया कि इंसान अगर अपने आप पर भरोसा कर ले तो जीवन की हर कठिनाइयों का सामना वो कर सकता है।
1 दिन व्रत रखने की अपील
बापू के आदर्शों पर चलने वाले लाल बहादुर ने उस समय अपना नाम सुनहरे शब्दों में अंकित कर लिया जब देश के कई हिस्सों में भयानक अकाल पड़ा था। उस समय शास्त्री जी ने देश के सभी लोगों को खाना मिल सके इसके लिए सभी देशवासियों से हफ्ते में 1 दिन व्रत रखने की अपील की थी। आज सशरीर शास्त्री हमारे बीच न सही लेकिन उनके आदर्श हमारे बीच में जिंदा है...इसलिए वो ना होकर भी हमारे बीच मौजूद हैं।
गांधी एक भरोसा...तो शास्त्री एक विश्वास... महात्मा गांधी एक वयक्तित्व नहीं बल्कि एक भरोसा और विश्वास हैं, जो हर इंसान के अंदर मौजूद है...वो एक वचन है जो हर कसम में साथ होते हैं... तो वहीं शास्त्री एक शपथ हैं जो हमें अपने कर्तव्यों का एहसास दिलाते हैं कि हम कुछ भी कर सकते हैं..इसलिए यह दोनों हमसे तो कभी अलग हो ही नहीं सकते..यह दोनों यहीं हैं हमारे पास..हमारे बीच.. हमारे साथ
Monday, 26 September 2016
Ishwar Chandra Vidyasagar Birthday 26 september 1820
इश्वर चन्द्र विद्यासागर ( १८२० - १८९१ )
इश्वर चन्द्र विद्यासागर एक प्रचिलित विद्वान तथा लेखक थे | उन्होंने अपना सारा जीवन सामाजिक कल्याण के लिए समर्पित किया था |
उनका जन्म २६ सितम्बर १९२० को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर (हुगली जिल्हा) के एक भ्रमण घराने में हुआ था | उनके पिता का नाम ठाकुरदास बनर्जी और उनकी माता का नाम भगबती देवी था | इश्वर चन्द्र ने अपने पिता को ही अपना गुरु मान लिया था | जीवन में उन्होंने अपनी माता की तरह परोपकारी तथा दयालु रहना सिखा |
शिक्षण
इश्वर चन्द्र का शिक्षण कलकत्ता में हुआ | उन्होंने १९३९ में उन्होंोंने अपनी कानून की परीक्षा सफलता से उत्तीर्ण की | सन १८४१ में इश्वर चंद्राने फोर्ट विल्लियम कॉलेज में संस्कृत विभाग क मुख्याध्यापक के पद पर काम करना शुरू किया | भारत के आज़ादी के प्रति का भाव और " डिरेक्टर ऑफ़ पब्लिक एदुकतिओन " के साथ उन्हके मतभेद के बाद उन्हों ने अपना इस्तीफा दे दिया | इसके बाद आर्थिक आज़ादी के लिए उन्होंने मुद्रुक तथा प्रकाशक के तौर पर बंगाली भाषा में अनेक पुस्तके लिखी |
समाजिक कल्याण
उन्होंने निर्भिड़ता से सफलतापूर्वक विधवा विवाह का अभियान चलाया | उन्होंने इस कार्य के लिए पूर्णतः अपना तन- मन अर्पण किया था | उन्होंने बहुविवाह पर रोक लगाने के लिए बहुत प्रयत्न किये लेकिन वह उसमे असफल रहे | लेकिन इस हार से निराश न होते हुए उन्होंने महिलाओ के शिक्षण का अभियान सफलतापूर्वक पर किया | वह बेथूने स्कूल के प्रथम सचिव बने | उन्होंने मेट्रोपोलिटिन कॉलेज ( अब विद्यासागर कॉलेज ) की स्थापना की | इश्वर चन्द्र कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रबंध सभा के सदस्य भी रह चुके है | उन्होंने बंगाली में अनेक पाठ्यपुस्तके प्रकाशित की | बेताल्पंचाहिन्ग्सती, उपक्रमणिका, चरिताबोली , कोथामाला , बमापोरिचोय यह उनकी कुछ पुस्तके बहुत प्रचिलित है |
इश्वर चन्द्र विद्यासागर एक प्रचिलित विद्वान तथा लेखक थे | उन्होंने अपना सारा जीवन सामाजिक कल्याण के लिए समर्पित किया था |
उनका जन्म २६ सितम्बर १९२० को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर (हुगली जिल्हा) के एक भ्रमण घराने में हुआ था | उनके पिता का नाम ठाकुरदास बनर्जी और उनकी माता का नाम भगबती देवी था | इश्वर चन्द्र ने अपने पिता को ही अपना गुरु मान लिया था | जीवन में उन्होंने अपनी माता की तरह परोपकारी तथा दयालु रहना सिखा |
शिक्षण
इश्वर चन्द्र का शिक्षण कलकत्ता में हुआ | उन्होंने १९३९ में उन्होंोंने अपनी कानून की परीक्षा सफलता से उत्तीर्ण की | सन १८४१ में इश्वर चंद्राने फोर्ट विल्लियम कॉलेज में संस्कृत विभाग क मुख्याध्यापक के पद पर काम करना शुरू किया | भारत के आज़ादी के प्रति का भाव और " डिरेक्टर ऑफ़ पब्लिक एदुकतिओन " के साथ उन्हके मतभेद के बाद उन्हों ने अपना इस्तीफा दे दिया | इसके बाद आर्थिक आज़ादी के लिए उन्होंने मुद्रुक तथा प्रकाशक के तौर पर बंगाली भाषा में अनेक पुस्तके लिखी |
समाजिक कल्याण
उन्होंने निर्भिड़ता से सफलतापूर्वक विधवा विवाह का अभियान चलाया | उन्होंने इस कार्य के लिए पूर्णतः अपना तन- मन अर्पण किया था | उन्होंने बहुविवाह पर रोक लगाने के लिए बहुत प्रयत्न किये लेकिन वह उसमे असफल रहे | लेकिन इस हार से निराश न होते हुए उन्होंने महिलाओ के शिक्षण का अभियान सफलतापूर्वक पर किया | वह बेथूने स्कूल के प्रथम सचिव बने | उन्होंने मेट्रोपोलिटिन कॉलेज ( अब विद्यासागर कॉलेज ) की स्थापना की | इश्वर चन्द्र कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रबंध सभा के सदस्य भी रह चुके है | उन्होंने बंगाली में अनेक पाठ्यपुस्तके प्रकाशित की | बेताल्पंचाहिन्ग्सती, उपक्रमणिका, चरिताबोली , कोथामाला , बमापोरिचोय यह उनकी कुछ पुस्तके बहुत प्रचिलित है |
Tuesday, 20 September 2016
शांति का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of Peace) :-
हर साल शांति का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of Peace) जिसे कुछ लोग विश्व शांति दिवस के रूप में भी जानते हैं 21 सितंबर को दुनिया भर में मनाया जाता है | महासभा ने सभी देशों और देश के भीतर लोगों के बीच शांति के आदर्शों को मजबूत बनाने के लिए इस दिन को शांति के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मानाने की घोषणा की है |
वर्ष 2016 के लिए अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस का विषय है ” The Sustainable Development Goals: Building Blocks for Peace.”
शांति का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of Peace) मुख्य रूप से सम्पूर्ण विश्व में शांति और अहिंसा स्थापित करने के लिए मनाया जाता है | आज की दौड़ भाग भरी जिंदगी में इंसान शांति की खोज में मनुष्य सारा जीवन भटकता रहता है | किन्तु आज के समय में इंसान दिन-प्रतिदिन इस शांति से दूर होता जा रहा है | आज चारों तरफ़ फैले आतंकबाद ने शांति को व्यक्ति से और भी दूर कर दिया है | पृथ्वी, आकाश व सागर सभी अशांत हैं। स्वार्थ और घृणा ने मानव समाज को विखंडित कर दिया है। यूँ तो ‘विश्व शांति’ का संदेश हर युग और हर दौर में दिया गया है, लेकिन इसको अमल में लाने वालों की संख्या बेहद कम रही है |
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस का इतिहास : –
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस (International Peace Day) पहली बार 21 सितंबर 1982 में मनाया गया था जिसमे कई देशों, राजनीतिक समूहों , सैन्य समूहों, के लोग शामिल थे | शांति के पहले अंतर्राष्ट्रीय दिवस का विषय था “Right to peace of people.” |
वर्ष 1982 से 2001 तक सितम्बर महीने के तीसरे मंगलवार को ‘अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस’ या ‘विश्व शांति दिवस’ के लिए चुना गया था था, लेकिन बाद में वर्ष 2002 में 21 सितम्बर ‘अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस’ या ‘विश्व शांति दिवस’ के रूप में घोषित कर दिया गया |
वर्ष 2011 के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का विषय था “Peace and Democracy: Make Your Voice Heard.”
वर्ष 2012 के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का विषय था ” Sustainable Peace for a Sustainable Future ”
वर्ष 2013 के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का विषय था ” Focus on Peace education “
वर्ष 2014 के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का विषय था ” Right to peace “
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस (International Day of Peace) का उद्देश्य : –
सम्पूर्ण विश्व में शांति कायम करना ही आज संयुक्त राष्ट्र का मुख्य लक्ष्य बन चूका है। अंतरराष्ट्रीय संघर्ष को रोकने और शांति की संस्कृति विकसित करने के लिए ही संयुक्त राष्ट्र का जन्म हुआ है | संघर्ष, आतंक और अशांति के इस दौर में अमन की अहमियत का प्रचार-प्रसार करना बेहद जरूरी और प्रासंगिक हो गया है। इसलिए संयुक्त राष्ट्रसंघ, और उसकी तमाम संस्थाएँ, गैर-सरकारी संगठन, सिविल सोसायटी और राष्ट्रीय सरकारें प्रतिवर्ष 21 सितम्बर को ‘अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस’ का आयोजन करती हैं। शांति का संदेश दुनिया के कोने-कोने में पहुँचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने कला, साहित्य, सिनेमा, संगीत और खेल जगत की विश्वविख्यात हस्तियों को शांतिदूत के रूप में भी नियुक्त कर रखा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने तीन दशक पहले यह दिन सभी देशों और उनके निवासियों में शांतिपूर्ण विचारों को सुदृढ़ बनाने के लिए समर्पित किया था |
Tuesday, 13 September 2016
Sunday, 11 September 2016
Wednesday, 7 September 2016
Monday, 29 August 2016
world sanskrit day 29 august
Sanskrit Day was first observed in the year 1969. Various activities, seminar and workshops are organized on the day of Sanskrit Diwas to promote the Vedic language. In current time, the usage of Sanskrit has been limited to only Puja-Patha and academic activities.
Monday, 15 August 2016
Saturday, 25 June 2016
Thursday, 23 June 2016
Wednesday, 22 June 2016
Monday, 20 June 2016
Sunday, 19 June 2016
Friday, 20 May 2016
HINDI OLYMPIAD RESULT (2015-16)
Congratulations to all the participants and winners.
S.no | Class | Enrollment No. | Participants name | Marks | Class Rank | State | Olympiad | medal |
1 | 3 | H16571003A01 | Bhuvi | 85.7 | 1 | 34 | 287 | gold |
2 | 3 | H16571003A02 | Aayushi | 83.16 | 2 | 53 | 393 | silver |
3 | 3 | H16571003A03 | Pranav | 35.27 | 7 | 774 | 3994 | |
4 | 3 | H16571003A04 | Navya | 58.01 | 5 | 416 | 2170 | |
5 | 3 | H16571003A05 | Rashi | 68.05 | 4 | 254 | 1380 | |
6 | 3 | H16571003A06 | Aaditya | 52.93 | 6 | 522 | 2667 | |
7 | 3 | H16571003A07 | Rounak | 73.09 | 3 | 166 | 1001 | bronze |
8 | 4 | H16571004A01 | Pranjal | 68.05 | 4 | 254 | 1582 | |
9 | 4 | H16571004A02 | Pari | 55.48 | 9 | 534 | 2879 | |
10 | 4 | H16571004A03 | Kushagra | 60.53 | 6 | 409 | 2321 | |
11 | 4 | H16571004A04 | Aditi | 52.94 | 10 | 596 | 3171 | |
12 | 4 | H16571004A05 | Gurjot | 73.06 | 2 | 169 | 1152 | silver |
13 | 4 | H16571004A06 | Gurtej | 68.07 | 3 | 243 | 1544 | bronze |
14 | 4 | H16571004A07 | Navye | 0.48 | 8 | 533 | 2875 | |
15 | 4 | H16571004A08 | Mamta | 25.26 | 11 | 877 | 5000 | |
16 | 4 | H16571004A09 | Aarush | 73.12 | 1 | 146 | 1014 | gold |
17 | 4 | H16571004A10 | Unnati | 63.04 | 5 | 351 | 2074 | |
18 | 4 | H16571004A11 | Udit | 57.92 | 7 | 520 | 2807 | |
19 | 5 | H16571005A01 | Somya | 50.42 | 4 | 564 | 3595 | |
20 | 5 | H16571005A02 | Riddhi | 65.56 | 1 | 233 | 1634 | gold |
21 | 5 | H16571005A03 | Siddhi | 62.97 | 2 | 323 | 2175 | silver |
22 | 5 | H16571005A04 | Gautam | 30.28 | 7 | 797 | 5355 | |
23 | 5 | H16571005A05 | Kanishk | 32.78 | 6 | 779 | 5227 | |
24 | 5 | H16571005A06 | Kashvi | 52.94 | 3 | 522 | 3317 | bronze |
25 | 5 | H16571005A07 | Amadhya | 40.29 | 5 | 724 | 4762 | |
26 | 6 | H16571006A01 | Khushi | 68.05 | 1 | 193 | 1456 | gold |
27 | 6 | H16571006A02 | Nandini | 62.97 | 4 | 358 | 2332 | |
28 | 6 | H16571006A03 | Tripti | 42.75 | 7 | 901 | 5459 | |
29 | 6 | H16571006A04 | Arpita | 65.52 | 2 | 263 | 1802 | silver |
30 | 6 | H16571006A05 | Sarveshwar | 30.23 | 8 | 1007 | 6322 | |
31 | 6 | H16571006A06 | Arshiya | 55.41 | 5 | 597 | 3588 | |
32 | 6 | H16571006A07 | Ashmit | 65.49 | 3 | 285 | 1943 | bronze |
33 | 6 | H16571006A08 | Bhavya | 42.8 | 6 | 891 | 5393 |
Monday, 2 May 2016
Sunday, 1 May 2016
Monday, 18 April 2016
Tuesday, 5 April 2016
Poem on school days
हम चल दिए…. Hindi Poem
कानों में घंटी की आवाज़ फिर गूँज उठेगी ,
टीचर की प्यार भरी डांट जैसे कानों को छू कर निकलेगी .
हँसीं के ठहाके , फिर थोड़ी सी शरारत ,
दोस्त की प्यार भरी मुस्कान , फिर थोड़ी सी नज़ाकत .
संजोयी हैं यादें यहाँ कितनी सारी ,
जाने ज़िन्दगी कब उड़ चली .
स्कूल की हर याद जैसे दिल के भीतर बस जायगी ,
याद आएंगे ये पल , याद आएगी ये दुनिया .
आँखों के समक्ष हर पल की धुंधली तस्वीर लौट आएगी ,
कानों में जैसे हर लफ्ज़ की झंकार सुनाई पड़ जायगी .
मैडम के प्यार , आशीर्वाद के लिए लम्हे तरस जायेंगे ,
दोस्तों की एक झलक के लिए , आँखें नम हो जायंगी .
प्यार की मज़बूत डोर बंध जायगी ,
यादों की डोलियाँ जो हमारे संग जाएँगी ,
जब स्कूल के जीवन की गतिविधि पूरी होगी….
चल पड़ेंगे हम अपनी नयी दुनिया बसाने ,
ख़्वाबों के नए दीप जलाने .
सपनों की नयी आस जगेगी ,
यादों की वही डोली सजेगी .
थिरक जायेंगे कदम नयी धुन पर ,
ठहर जाएगी हवा नयी सरगम पर .
खिलेंगे नए फूल इस गुलशन में ,
नयी कलियों की महक आँगन में बहेगी ,
जब स्कूल के जीवन की गतिविधि पूरी होगी….
Saturday, 2 April 2016
Thursday, 14 January 2016
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